यूं मुंबई पहुंचा यशस्वी

बचपन से ही यशस्वी में क्रिकेटर बनने का जुनून था। 10 साल की उम्र में उसने पिता से मुंबई जाने की जिद की। पिता भी बेटे की प्रतिभा को समझ रहे थे। इसलिए, उन्होंने उसे नहीं रोका। मुंबई के वर्ली इलाके में रहने वाले एक रिश्तेदार संतोष के यहां यशस्वी को भेज दिया। यशस्वी 5-6 महीना वहीं रहे। वह यहां से आजाद मैदान में प्रैक्टिस करने जाते थे। लेकिन, रिश्तेदार का घर छोटा था। इतनी जगह नहीं थी वहां लंबे समय तक रह पाते।


पिता बताते हैं, 'आजाद मैदान में कई महीने उसे ग्राउंड के बाहर ही दूसरे बच्चों के साथ खेलना पड़ा। नेट तक नहीं पहुंच पाया।' इसके बाद रिश्तेदार संतोष यशस्वी को आजाद ग्राउंड ले गए। वहां पर उनका एक परिचित ग्राउंडमैन सुलेमान था। उनसे बात करके यशस्वी को वहीं पर रहने की व्यवस्था करवाई। यहां करीब तीन साल तक यशस्वी टेंट में रहा और क्रिकेट की बारीकियां सीखीं