स्वीडन में 480 दिन की मैटनिर्टी लीव

स्वीडन की राजधानी स्टॉकहोम की सड़कों और बाजारों में बड़ी संख्या में पुरुषों को अपने बच्चों के साथ खेलते देखा जा सकता है। कोई स्मार्टफोन पर बच्चों को जानवर दिखा रहा है तो कोई कैफे में नवजात शिशु को संभाल रहा है। कोई गुलाबी साइकल चला रहे बच्चे को चढ़ाई पर धकेल रहा है। स्वीडन में औरतों-मर्दों के बीच समानता के लिए पिछले दस वर्षों से खास अभियान चल रहा है। नोर्डिक देशों (स्वीडन,नार्वे,फिनलैंड,डेनमार्क,आइसलैंड) के बीच लैंगिक समानता की ग्लोबल रैंकिंग में सर्वोच्च स्थान पाने की होड़ लगती है। स्वीडन में ऐसे लोग मिल जाएंगे जो बताने में शर्म का अनुभव करते हैं कि उनका देश पांचवीं रैंकिंग पर आ गया है। लैंगिक समानता के मामले में अमेरिका 49 वें स्थान पर है। 

स्वीडन ने महिलाओं को सुविधाएं देने और अधिकार संपन्न बनाने के लिए कई कदम उठाए हैं। स्वीडन 1974 में दुनिया का पहला देश बना जहां सवैतनिक पेरेंटल लीव की सुविधा दी गई। हर बच्चे के जन्म पर 480 दिन की पेरेंटल लीव मिलती है। इसमें पुरुषों के लिए तीन माह का अवकाश शामिल है। फोटोग्राफर अन्ना बताती हैं,पूरी पेरेंटल लीव न लेने वालों को लोग अच्छा पेरेंट नहीं मानते हैं। आमतौर पर महिलाएं 75 प्रतिशत छुट्‌टी लेती हैं। सरकार ने महसूस किया कि विवाहित जोड़े पर संयुक्त टैक्स लगाने से महिलाएं घर से बाहर कम काम करती हैं। इसलिए हर व्यक्ति पर टैक्स लगाना शुरू किया गया। वहां हर बच्चे के लिए सरकार 142 डॉलर देती है।