यशस्वी के पिता भूपेंद्र आज भी भदोही में पेंट की छोटी सी दुकान चलाते हैं। पिता कहते हैं, 'बेटे ने मेरा सपना पूरा कर दिया। जो लोग मुझे पागल कहते थे वो आज साथ में फोटो खिंचवाते हैं। जो कहते थे कि बेटे के पीछे बर्बाद हो जाओगे, आज वही लोग पेपर हाथों में लेकर आते हैं। फक्र से कहते हैं, मोंटी (यशस्वी का घर का नाम) हमारा बच्चा है।
पेंट की दुकान चलाते हैं पिता