बेटे की उपलब्धि से खुश मां कहती हैं, 'कभी उसके लिए (यशस्वी) एक खिलौना नहीं खरीदा। एक साल कि उम्र थी तब पापा के साथ रुम में बैट-बॉल खेला करता था। उसकी जिद्द से हारकर मुंबई भेजा। बहुत सी तकलीफों को बताता भी नहीं था। चीटियां काटकर आंख और चेहरा फुला देती थीं। जिसने उसे ताना दिया उसका मुंह बेटे ने बंद कर दिया
मां बोलीं-कभी उसके लिए एक खिलौना नहीं खरीदा