पिता भूपेंद्र बताते हैं कि मुंबई में यशस्वी नेआजाद मैदान के बाहर गोलगप्पे की दुकान पर काम किया। एक दूध वाले के यहां भी काम किया। वहां सफाई करने के एवज में उसे रोजाना 20 रुपए मिलते थे। वहां 4-5 महीने काम किया। उस दुधवाले ने काम से यह कहकर यशस्वी को निकाल दिया कि सिर्फ खेलता और सोता है। मैं यहां से 2000 रुपए भेजता हूं। लेकिन, अब वक्त काफी कुछ बदल गया। अब यशस्वी का कंपनियों से एक करोड़ रुपए का कांट्रैक्ट हो चुका है
गोलगप्पे बेचे, दूध की दुकान पर सफाई की