एक मुलाकात और बदली तकदीर

पिता के मुताबिक, 'यशस्वी 13 साल की उम्र में अंजुमन ए इस्लामिया की टीम से आजाद ग्राउंड पर लीग खेल रहा था। इस दौरान ज्वाला सर आए, उनकी शांताक्रूज में एकेडमी है। वह यशस्वी के खेल से प्रभावित हुए। उन्होंने उनसे पूछा-कोच कौन है तुम्हारा? उसने जवाब दिया कोई नहीं। यशस्वी ने कहा कि मैं बड़ों को देखकर सीखता हूं।' उन्होंने बताया कि इसके बाद ज्वाला सर ने मुझसे बात की। दो दिन बाद वह यशस्वी को अपनी एकेडमी ले गए। यह उसकी जिंदगी का सबसे बड़ा टर्निंग प्वाइंट था