बालिका गृह में रहने वाली बच्चियों की डरावनी दास्तां, जिन पर संवारने का भरोसा था, वही बेहोश कर यौन शोषण करते थे

बेहतर जिंदगी की उम्मीद में मुजफ्फरपुर के बालिका गृह पहुंचीं या पहुंचाई गईं भटकी, बिछुड़ी, यतीम बच्चियों की चीख बंद कमरे में गूंजती रहीं और दरिंदे उन्हें नोंचते रहे, उनसे खेलते रहे। यह वही लोग थे जिन पर बच्चियों को संवारने, सुधारने का जिम्मा था। इन चेहरों को देखते ही बच्चियां सिहर उठती थीं। क्या कुछ नहीं होता था उनके साथ... इन दरिंदों को अब उनके किए की सजा मिली है।