क फिनेगन सात वर्ष के थे,जब एक स्थानीय पादरी ने उनके साथ दुराचार किया था। वे नहीं जानते थे कि दो वर्ष तक बार-बार हुए यौन शोषण को वे कैसे रोकें या इस अपराध की सूचना कैसे दें। इसलिए बाल यौन शोषण के अन्य पीड़ितों के समान वे भी खामोश रहे। 40 वर्ष की आयु में जब उन्होंने अपने बच्चों को बाहरी दुनिया में भेजा तब उनके लिए उस दुस्वप्न को भुलाना असंभव हो गया था। फिनेगन ट्रक ड्राइवर हैं। उन्होंने, एक वकील से संपर्क कर मुकदमा दायर किया। फिनेगन को बहुत देर हो चुकी थी।
पेनसिल्वेनिया में, जहां फिनेगन पले-बढ़े थे,बाल यौन शोषण के शिकार लोग 30 वर्ष का होने पर दीवानी मुकदमा दायर कर सकते हैं। वे 50 वर्ष की आयु तक आपराधिक मामला चला सकते हैं। लेकिन,फिनेगन का शोषण करने वाले व्यक्ति की बहुत पहले मौत हो चुकी थी। फिनेगन को न्याय नहीं मिला। इधर, अमेरिका में कई राज्यों ने देर से आपराधिक मामला दाखिल करने के दरवाजे खोल दिए हैं। दशकों पुराने मामलों में दीवानी मामले दायर किए जा सकते हैं।15 राज्यों ने इस वर्ष ऐसे कानून बनाने के लिए विधेयक पेश किए हैं जिनमें बाल यौन शोषण पीड़ितों के लिए न्याय पाना आसान होगा।
अभी हाल में कई मामले सामने आने के बाद बाल यौन शोषण के मुकदमे दायर करने की समय सीमा घटाने के आंदोलन ने जोर पकड़ा है। पूर्व अमेरिकी जिमनास्टिक डॉक्टर लैरी नासेर द्वारा एक युवती के यौन शोषण,प्राइवेट स्कूलों में स्टाफ और शिक्षकों के हाथों बच्चों के शोषण और पेनसिल्वेनिया की अदालत के कैथोलिक चर्च द्वारा बाल यौन शोषण के मामले छिपाने की रिपोर्ट से लोगों का गुस्सा बढ़ा है। अगस्त से सितंबर के बीच इलिनॉय, मिसौरी, नेब्रास्का, न्यू मेक्सिको और न्यूयॉर्क राज्य के अटार्नी जनरलों ने बच्चों से दुराचार की जांच के लिए कैथोलिक डायोसिस से रिकॉर्ड मांगे हैं।